नई दिल्ली/पटना। निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि बिहार में मसौदा मतदाता सूची से किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना नोटिस दिए नहीं हटाया जाएगा, लेकिन नाम कटने का कारण बताना आवश्यक नहीं है। आयोग ने शनिवार को अतिरिक्त हलफनामा दायर करते हुए कहा कि मसौदा सूची से बाहर हुए लोगों के नामों की अलग सूची जारी करना या कारण प्रकाशित करना कानूनी रूप से जरूरी नहीं है।
बिहार में हाल ही में जारी मसौदा मतदाता सूची से 65 लाख से अधिक नाम हटाए गए हैं। आयोग का दावा है कि इनमें से अधिकांश लोग या तो मृतक हैं या फिर पलायन कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है। आयोग ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं। मसौदा सूची से नाम हटने का मतलब यह नहीं है कि वह अंतिम सूची से भी हटा दिया जाएगा।
कांग्रेस का ‘वोट चोरी’ अभियान
राहुल गांधी के आरोपों के बाद कांग्रेस ने ‘वोट चोरी’ के खिलाफ जनसमर्थन जुटाने के लिए एक वेब पेज शुरू किया है, जहां लोग निर्वाचन आयोग से जवाबदेही की मांग का समर्थन करने के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।
राहुल को नोटिस
कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राहुल गांधी को नोटिस जारी कर उन दस्तावेजों की मांग की है, जिनमें उन्होंने दावा किया था कि एक महिला ने दो बार मतदान किया। हरियाणा के चुनाव अधिकारियों ने भी मतदाता सूची में अनियमितताओं के सबूत 10 दिन के भीतर प्रस्तुत करने को कहा है।

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