विलय किए गए प्राइमरी स्कूलों का फिर से होगा सत्यापन, बीएसए ने बीईओ को दिए निर्देश
लखनऊ। नगर और ग्रामीण क्षेत्र में जून महीने में विलय किए गए सभी प्राइमरी स्कूलों का अब दोबारा सत्यापन किया जाएगा। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह द्वारा गुरुवार को स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) राम प्रवेश ने गुरुवार को सभी खंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) के साथ बैठक कर उन्हें पुनः सत्यापन के निर्देश दिए।
बैठक में बीईओ को स्पष्ट रूप से कहा गया कि वे उन विद्यालयों की जांच करें जो जून माह में विलय किए गए थे। इसमें विशेष रूप से दो बातों पर फोकस करना है—पहला, विलय किए गए दोनों स्कूलों के बीच की वास्तविक दूरी और दूसरा, उनके भवन की स्थिति। सभी बीईओ को शुक्रवार शाम तक अपनी रिपोर्ट BSA कार्यालय में जमा करनी होगी।
169 स्कूलों का हुआ था विलय, अब होगी समीक्षा
बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, जून 2025 में प्रदेश में कुल 169 प्राइमरी स्कूलों का आपस में विलय किया गया था। लेकिन इस प्रक्रिया में कई मामलों में दूरी और छात्र संख्या जैसे मानकों की अनदेखी होने की शिकायतें सामने आईं। कई विद्यालयों के बीच की दूरी एक किलोमीटर से अधिक थी और फिर भी उन्हें मर्ज कर दिया गया, जिससे छात्रों को स्कूल तक पहुंचने में परेशानी होने लगी।
इसी को ध्यान में रखते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने गुरुवार को दोपहर बाद स्पष्ट आदेश दिया कि जिन स्कूलों के बीच की दूरी एक किलोमीटर से अधिक है और जिनमें छात्र संख्या 50 या उससे अधिक है, उनका विलय निरस्त किया जाएगा। इसके तुरंत बाद सभी ज़िलों में बीएसए ने संबंधित बीईओ को दोबारा जांच और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश जारी कर दिया।
सत्यापन के बाद निरस्त होंगे दूरी वाले विलय
बीएसए राम प्रवेश ने बताया कि शुक्रवार तक बीईओ द्वारा सत्यापन रिपोर्ट मिलने के बाद विभाग उन स्कूलों की सूची तैयार करेगा, जिनका विलय एक किलोमीटर से अधिक दूरी के कारण नियम विरुद्ध हुआ है। “ऐसे मामलों में विलय को निरस्त कर दिया जाएगा और विद्यालय पूर्व स्थिति में बहाल किए जाएंगे,” उन्होंने बताया।
वहीं, रिपोर्ट में भवन की स्थिति की भी जांच की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छात्रों की पढ़ाई और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हो सके।
शिक्षक संगठनों ने सराहा निर्णय
बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा लिए गए इस निर्णय का शिक्षक संगठनों ने स्वागत किया है। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने सरकार के पुनर्विचार आदेश की सराहना करते हुए कहा कि यह फैसला छात्रों के हित में है।
उन्होंने कहा, “विद्यालयों को बंद करना समस्या का समाधान नहीं है। आवश्यकता इस बात की है कि विद्यालयों में संसाधनों की कमी को दूर किया जाए, ताकि छात्र संख्या में बढ़ोतरी हो और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिल सके।”
पूर्व में उठे थे सवाल
विद्यालयों के विलय के बाद कई अभिभावकों, जनप्रतिनिधियों और शिक्षकों ने विरोध जताया था। शिकायतें थीं कि विलय ऐसे विद्यालयों का भी किया गया, जो अच्छे भवनों में संचालित थे और जिनकी छात्र संख्या अपेक्षाकृत बेहतर थी। सबसे बड़ा मुद्दा दूरी का रहा, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में एक किलोमीटर भी बच्चों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित होता है।
बेसिक शिक्षा मंत्री ने इन तमाम बातों को संज्ञान में लेते हुए आदेश जारी किया कि मानकों की अनदेखी करके किए गए सभी विलयों को निरस्त किया जाएगा।
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