69000 शिक्षक भर्ती में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन अनिवार्य: संदीप सिंह

लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह ने गुरुवार को बड़ा बयान देते हुए स्पष्ट किया कि राज्य सरकार 69000 शिक्षक भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पूर्ण पालन करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी भर्ती प्रक्रिया के विरोध में नहीं है, और न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों को समयबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम इस मामले में पूरी तरह सकारात्मक हैं और कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन हमारी प्राथमिकता है।”



यह बयान ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट में 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर चल रही सुनवाई एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। लंबे समय से इस भर्ती से जुड़े अभ्यर्थी न्याय की उम्मीद लगाए हुए हैं, और सरकार की इस स्पष्टता से उन्हें राहत की उम्मीद जगी है।


बिना मान्यता के नहीं चलेंगे निजी विद्यालय

राज्यमंत्री ने प्रदेश में चल रहे अवैध निजी विद्यालयों पर सख्ती की मंशा भी साफ कर दी। उन्होंने कहा कि बिना मान्यता के कोई भी निजी विद्यालय प्रदेश में संचालित नहीं होगा। इस संबंध में सभी ज़िलों के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं। मंत्री ने बताया कि समय-समय पर विद्यालयों के निरीक्षण, मानकों की जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया जारी रहती है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के अंतर्गत नियमों को पूरा करने वाले हर छात्र को विद्यालय में प्रवेश दिलाना सरकार की प्राथमिकता है। “हम हर बच्चे को बेहतर शिक्षा देने के लिए वचनबद्ध हैं,” उन्होंने दोहराया।


विद्यालय भवनों की सेफ्टी ऑडिट और गुणवत्ता पर फोकस

शिक्षा मंत्री ने विद्यालयों की सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिए जाने की बात कही। उन्होंने बताया कि प्रदेश भर के विद्यालय भवनों का सेफ्टी ऑडिट कराया जा रहा है। जहां-जहां भवन जर्जर पाए गए हैं, उन्हें ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है ताकि बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता न हो।

संदीप सिंह ने ‘असर’ और ‘परख’ सर्वेक्षण की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं। “हम चाहते हैं कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को भी निजी विद्यालयों जैसी सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।”


अमान्य विद्यालयों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश

बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से गुरुवार को जारी एक आदेश में स्पष्ट किया गया कि कुछ बंद हो चुके विद्यालय भवनों में असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध रूप से विद्यालय चलाने की कोशिशें की जा रही हैं। इस पर रोक लगाने के लिए शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशकों और बीएसए को निर्देश जारी किए हैं।

आदेश के अनुसार, जिन विद्यालयों का विलय हुआ है, वहां अब ‘बालवाटिका’ का संचालन किया जाएगा। यदि किसी स्थान पर बिना अनुमति विद्यालय संचालित पाया गया, तो संबंधित लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। इसके लिए निरंतर अनुश्रवण की व्यवस्था भी की गई है।


शिक्षक संगठनों ने फैसले का किया स्वागत

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों के विलय के निर्णय में लचीलापन दिखाने पर शिक्षक संगठनों ने खुशी जताई है। उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि छात्र संख्या बढ़ाने के लिए विद्यालयों को संसाधनों से सुसज्जित करना जरूरी है, न कि उन्हें बंद करना।

इसी तरह प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह, बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव और अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के सुशील कुमार पांडेय ने भी इस फैसले को सराहनीय बताया है।

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