उत्तर प्रदेश में कम छात्र संख्या वाले परिषदीय विद्यालयों को नजदीकी स्कूलों में मिलाने की योजना पर विवाद गहराता जा रहा है। शिक्षक संगठनों ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि शिक्षकों की राय के बिना ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए।
शुक्रवार को उत्तर प्रदेशीय शिक्षक संघ का प्रतिनिधिमंडल बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल से मिला और प्रस्तावित विलय पर आपत्ति दर्ज की। संघ के पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि स्कूलों का एकतरफा विलय न तो शिक्षकों के हित में है और न ही छात्रों के।
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सफाई देते हुए कहा कि किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि इसका मकसद बच्चों को बेहतर शिक्षा माहौल देना और संसाधनों का समुचित उपयोग करना है। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर के शिक्षकों, संघ पदाधिकारियों और जिला स्तर के प्रतिनिधियों से ऑनलाइन बैठकें की जा रही हैं और उन्हीं सुझावों के आधार पर आगे की योजना बनाई जाएगी।
इस मौके पर संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील पांडे, सचिव मनोज सिंह, वरिष्ठ नेता उमानाथ मिश्र, राकेश सिंह और लखनऊ जिलाध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सिंह सहित कई पदाधिकारी उपस्थित रहे।
उधर, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के एक अन्य गुट ने राज्य के विभिन्न जिलों में प्रदर्शन कर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। उनकी मांग है कि केवल अमान्य स्कूलों को ही बंद किया जाए और शिक्षकों की तैनाती व्यवस्था में सुधार लाया जाए।
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